IDP Workshop with Bulandshahar Press Club, Bulandshahar

इंडिया डाटा पोर्टल (आईडीपी) ने आज “समाचारों को तथ्यपरक और विश्वसनीय बनाने में डाटा एवं ग्राफिक्स का प्रयोग कितना महत्त्वपूर्ण" विषय पर प्रेस क्लब ऑफ बुलंदशहर के साथ कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में शहर के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, न्यूज पोर्टल्स और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े अनेक जाने माने पत्रकारों और प्रशासन एवं समाज सेवा से जुड़े लोगों ने भाग लिया। कार्यशाला में पत्रकारिता में डाटा का उपयोग करने और www.indiadataportal.com का प्रयोग करते हुए आकर्षक विज़ुअलाइज़ेशन के माध्यम से आंकड़ों का इस्तेमाल किए जाने पर प्रकाश डाला गया। सत्र में पत्रकारों को आईडीपी के बारे में जानकारी दी गई। सत्र में IndiaPulse@ISB पहल के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझने के लिए कोविड19 के दौरान शुरू किए गए उच्च आवृत्ति संकेतकों को भी कवर किया गया है। आईडीपी शासकीय व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने और नीति निर्माण के महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित सार्वजनिक डाटा तक पहुंचने और उनका उपयोग करने के नागरिकों के अधिकार से जुड़ी यह एक बड़ी पहल है।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि विधायक विधायक लक्ष्मी राज सिंह ने समाचारों में आंकड़ों की महत्ता पर ज़ोर दिया।

पोर्टल का परिचय देते हुए, आईएसबी में इंडिया डाटा पोर्टल की सीनियर कंसल्टेंट दीप्ति सोनी ने कहा: "डाटा-आधारित समाचार, कहानी की प्रस्तुतिकरण को एक अलग कोण प्रदान कर पत्रकारिता में नए आयाम जोड़ सकते हैं और समाचार की विश्वसनीयता को बढ़ा सकते हैं – इस दिशा में इंडिया डाटा पोर्टल न केवल डाटा प्रदान करता है बल्कि स्टोरी में उपयुक्त विज़ुअलाइज़ेशन देकर इसे पाठकों के लिए और अधिक उपयोगी बना सकता है। सुश्री दीप्ति ने बताया कि आईएसबी ने पत्रकारों के लिए डाटा ऑन डिमांड सेवा भी आरंभ की है जिससे वे अपनी रुचि के अनुसार डाटा प्राप्त करने के लिए संपर्क कर सकते हैं।

प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय सार्थक ने कहा: “यह इंडिया डाटा पोर्टल की कार्यशाला का बुलंदशहर में आयोजन एक गर्व की बात है और वह उम्मीद करते हैं की उनके सभी सदस्य इसका बखूबी इस्तेमाल करेंगे।“

आईएसबी के कंसल्टेंट, वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र सिंह ने आईएसबी की देश भर में ऐसी लगभग 150 कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। इन कार्यशालाओं के माध्यम से हजारों मीडिया कर्मी और पत्रकारिता के छात्रों ने डाटा का इस्तेमाल करते हुए अपनी रिपोर्ट्स और शोध पत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव ला चुके हैं।